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रहस्यमाई चश्मा भाग - 5




मालिक सामने रहीके नज़र नाही आई रहा हो सुखिया के आँख से आंसू गिरने लगे उठते ही सुबह सुबह मंगलम चौधरी जी को बड़ा अजीब लगा उन्होंने स्वयं को संभाला और तुरन्त विस्तार से उठ कर बोले ठीक है सुखिया हम तैयार होने जा रहे है कोचवान से बोलो बग्घी तैयार करे आज हम बग्घी से शहर घूमते हुये अस्पताल जायेंगे सुखिया ने कहा मालिक उ जो बाहर देश से सरपट दौड़े वाली खटोलवा लाये है उ का होई उहो से चलब मगर आज त बग्घी से जाब सुखिया सुखिया बोला मालिक आपकी मर्जी आप की मर्जी ही समय की मर्जी है।


सुखिया चला गया चौधरी साहब तुरंत तैयार होने के लिये चले गए लगभग एक घंटे बाद चौधरी साहब स्नान ध्यान सुबह का नास्ता आदि करके अपनी हवेली से बाहर निकले मुन्ना मिया टोपी वगर् लगाके बग्घी तैयार करके चौधरी साहब का इंतज़ार कर रहा था ज्यो ही चौधरी साहब को बाहर आते मुन्ना मियाँ ने देखा बड़े तहजीब तमीज के लहजे से बोला मालिक आज खुदा का करम है की आपकी शान में खिजमत करने का मौका मिला मेरे पुरखे आपके परिवार की सेवा में सेवा में लगे रहे हम भी अपने पुरुखों की वफादारी को अपनी बेहतर सेवा हुनर से आपकी खिजमत करते रहेंगे चौधरी साहब मुन्ना मिया की बात सुनते रहे और जाकर बग्घी में बैठ गए मुन्ना मिया बग्घी आगे बढ़ने लगी और सडक पर अपनी पूरी गति से दौड़ने लगी मुन्ना मिया रास्ते में पड़ने वाली प्रत्येक विषय वास्तु के विषय में बड़े सलीके से बताता जा रहा था चौधरी साहब बीच बीच में उत्सुकता वश कुछ सवाल पूछ लेते जिससे मुन्ना मिया को लगता की मालिक।


उसकी बात को ध्यान से सुन रहे है मुन्ना मिया को फक्र था की मालिक।उसकी बातों पर गंभीरता पूर्वक ध्यान दे रहे है मुन्ना मियां और चौधरी साहब की वार्ता लाप के बीच बग्घी कब डा रणदीप के अस्पताल पहुच गयी पता ही नहीं चला मुन्ना मियां बोले मालिक अस्पताल आ गया चौधरी साहब बग्घी से उतकर सीधे डा रणदीप के पास पहुंचे डा रणदीप पहले से ही चौधरी साहब का इन्तज़ार कर रहे थे चौधरी साहब के पहुचते ही डा रणदीप ने चौधरी साहब को बताया आपका खून सुयस के खून से मिल गया है लगभग सात यूनिट खून की आवश्यकता होगी चौधरी साहब ने तपाक से बोले डा मेरे शारीर का एक एक कतरा खून लेलो लेकिन हर हाल कीमत पर यह नौजवान बचना चाहिए!


डॉ रणदीप आश्चर्य से चौधरी साहब का चेहरा देखते रहे जिस चौधरी साहब के नाक पर मख्खी बैठ जाती है तो उनकी पूरी राईयत उस मख्खी के पीछे पड़ जाती है चौधरी साहब की तानाशाही रवैये से सब हलकान रहते और सबमें हड़कंप मचा रहता इस नौजवान में कौन सी खास बात है जिसके कारण चौधरी साहब को बदल दीया डॉ रणदीप को लगा की उसके व्यवहार से बिचलित हो रहे है तुरन्त डॉ रणदीप ने कहा अंकल चलिए!


आप अपना खून दीजिये नवजवान को चौधरी साहब को लगा की डॉ रणदीप ने उनके मन की मुराद ही पूरी कर दी तुरन्त चौधरी साहब सुयस के बगल अस्पताल में पड़े बिस्तर पर लेट गए डॉ रणदीप ने चौधरी साहब के रक्त का सीधा सम्बन्ध सुयस के शारीर से संचारित कर दिया चौधरी साहब के शारीर से खून सुयस के शारीर में प्रवाहित होने लगा सुबह के लगभग एक बजे से शाम के छ बजे तक चौधरी साहब के शरीर से खून निकल कर सुयस के शरीर में प्रवाहित होता रहा इस बिच चौधरी साहब कभी उस नौजवान का चेहरा देखते और सोचते की इस नौजवान ने क्यों मेरे एक चश्मे के लिये अपनी जान जोखिम में डाला ये मेरा क्या लगता है!


 निश्चय ही इसके पीछे ईश्वर की कोई ख़ास मंशा है वह इतना भाउक हो जाते सोचने को विवस हो जाते की क्यों इस नौजवान ने मुझे विवस और कमजोर कर दिया ।।तभी डॉ रणदीप बोले अंकल पांच यूनिट खून दे दिया है फिलहाल पर्याप्य है फिर जैसी जरूरत होगी बताऊंगा चौधरी साहब बिस्तर से उठ कर उत्सुकता से पूंछा अब तो यह नौजवान बच जाएगा डा रणदीप ने कहा अभी इस हालात सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है की आपका खून बेकार नहीं जाएगा।


चौधरी साहब उठे और रणदीप के अस्पताल से बाहर निकल सीधे बग्घी पर बैठ गए और कड़क आवाज में बोले चलों मुन्ना मिया चौधरी साहब का आदेश पाते ही बग्घी चला दी बग्घी अपने रौ में सड़क पर दौड़ने लगी आते वक्त तो मुन्ना मिया चौधरी साहब को शहर के बदले हालात को बताते आ रहा था और चौधरी साहब भी अपनी टिप्पड़ी बिचार देते चल रहे थे मगर लौटते वक्त मुन्ना मियां भी शांत भाव से बग्घी हांक रहा था उसने चौधरी साहब का मूड भाँप लिया था और चुप चाप चलता जा रहा था।


बग्घी चौधरी साहब के हवेली के सामने रुकी चौधरी साहब बग्घी से उतरकर अपनी हवेली में अपने कमरे में चले गये शाम के लगभग आठ बज रहे चौधरी साहब का मन व्यथित और द्रवित थे लगभग नौ बजे सुखिया खाना लेकर आया और खाना देकर चला गया चौधरी साहब किसी तरह कुछ खाना खाया और सोने की कोशिश करने लगे लेकिन उन्हें नीद नहीं आ रही थी करवट बदलते मगर बार बार घायल नौजवान का चेहरा और पिछले दो दिनों की अब तक की सभी घटना नज़रों के सामने कौंधने लगती रात के लगभग दो बजने वाले थे चौधरी साहब बेचैन थे रात कुछ ज्यादा लंबी होने लगी थी।।


रात के लगभग तीन बजे सुयस को थोड़ी बहुत चेतना आई और वह माई माई पुकारने लगा अस्पताल के कर्मचारी दौड़े दौड़े डा रणदीप को बुलाने गए लगभग आधे घंटे में डा रणदीप अस्पताल पहुंचे और कुछ दवाये इंजकक्शन सुयस को दिये सुयस को लगभग पूर्ण चेतना आ गयी थी उसको जब यह एहसास हुआ की उसका दाहिना हाथ कोहनी से ग़ायब था वह आबे बाहर होकर चीखने चिल्लाने लगा मै कहाँ हूँ मै कहाँ हूँ डा रणदीप ने बड़ी मुश्किल से स्तिति को नियत्रित करने की कोशिश में सुयस की समझने लगे दखो सुयस यदि तुम्हे यहाँ देवता जैसे चौधरी साहब लेकर नहीं आये होते तो शायद तुम नहीं बच पाते तुम्हारे शरीर से खून काफी गिर चूका था और हाथ कटने से जहर फ़ैल रहा था जिसके कारण हाथ काटना पड़ा!


 चौधरी साहब ने तुम्हे अपना खून दिया है तुम बहुत किस्मत वाले हो क्योकि चौधरी साहब के दर्शन पाने को तरसते है उन चौधरी साहब ने अपना खून तुमको दिया है ।।


नन्दलाल मणि त्रिपाठी




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2 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:40 AM

Awesome part

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 11:59 AM

Amazing

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